समर्थकों को सरकार और संगठन में भागीदारी की दरकार

खिलावन चंद्राकर, भोपाल
कांग्रेस में अपने और अपने समर्थकों के राजनीतिक भविष्य को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके खास समर्थकों के पुनर्वास को लेकर उनकी किरकिरी शुरू हो गई है - इस तरह की चर्चाएं मध्य प्रदेश की राजनीति के गलियारों में खूब चल रही है।

सिंधिया राज्यसभा सदस्य बनने के बाद एक और केंद्रीय मंत्रिमंडल में खुद का स्थान सुनिश्चित करने के लिए संघ के दफ्तरों के साथ ही भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की चौखट पर लगातार दस्तक दे रहे हैं। इसके बावजूद उन्हें केंद्र की सत्ता या संगठन में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी अभी तक नहीं दी गई है। लगभग यही हाल उनके समर्थकों को लेकर मध्य प्रदेश में है।

 वे चाहते हैं कि उप चुनाव के ठीक पहले 6 माह की बाध्यता के कारण मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने और बाद में पुनः विधायक चुनकर आने वाले तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को शीघ्र ही शिवराज मंत्रिमंडल में सम्मानजनक स्थिति मिले और उनका सरकार में पुनर्वास हो। इसी तरह चुनाव हारने वाले मंत्री इमरती देवी, एदल सिंह कंसाना और गिर्राज दंडोतिया को निगम -  मंडल में पुनर्वास के बाद कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिले। किंतु लंबी प्रतीक्षा के बाद भी ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है। इसके लिए वे न सिर्फ केंद्रीय नेता पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से कई बार मुलाकात कर चुके हैं बल्कि  प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से भी चार बार मुलाकात कर चुके हैं। इसके बावजूद कोई स्पष्ट आश्वासन और संकेत नहीं मिलने के कारण उनके समर्थकों में निराशा के भाव दिखाई देने लगा है, इतना ही नहीं सिंधिया समर्थक नेताओं को उम्मीद है कि भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिलेगी किंतु इसमें भी लगातार देरी हो रही है। इसके कारण राजनीतिक भविष्य को लेकर उनमें संशय की स्थिति उत्पन्न हो रही है।

माफिया को निपटा रहा हूं
मंत्री मंडल विस्तार को लेकर किए गए सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया ।  उन्होंने सिर्फ इतना कह कर सवालों को टाल दिया कि अभी तो मैं माफियाओं को निपटा रहा हूं। इससे स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल विस्तार एवं फेरबदल की जल्दी में नहीं है। इससे सिंधिया समर्थकों की धड़कने और बढ़ने लगी है। वही पिछली बार किन्ही कारणों से मंत्री नहीं बन पाए किंतु पुनः चुनाव जीतने वाले सिंधिया समर्थक कुछ विधायक भी इस आशा में हैं कि होने वाले कैबिनेट के पुनर्गठन में उन्हें भी स्थान मिल सकता है और इसके लिए वह न सिर्फ सिंधिया बल्कि शिवराज सिंह चौहान के इर्द-गिर्द चक्कर लगाने लगे हैं।


 चुनाव में काला धन
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में काले धन के उपयोग को लेकर आयकर विभाग के छापे के दौरान जो दस्तावेज मिले हैं उसमें जिन नामों का उल्लेख है उनमें कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे अधिकांश सिंधिया समर्थक शामिल है। प्रदेश की राजनीति पर दिलचस्पी रखने वाले कई लोगों का मानना है कि देर से किए गए खुलासे मीडिया में भाजपा के नेताओं द्वारा ही उछाला गया है। ताकि कुछ सिंधिया समर्थकों को उनके पुनर्वास से रोका जा सके और उनके स्थान पर वर्षों से पार्टी को मजबूत कर रहे उन नेताओं को सत्ता और संगठन में महत्वपूर्ण भागीदारी मिले, जिन्हें किन्ही कारणों से अभी तक मुख्यधारा से जुड़ कर काम करने का मौका नहीं मिल पाया है। राजनीति के कुछ जानकार इन्हें भाजपा में मची अंदरूनी रस्साकशी से जोड़कर भी देख रहे हैं। यदि इसे सही माना जाए तो भी सिंधिया और उनके समर्थकों के पुनर्वास के लिए यह शुभ संकेत नहीं है !

Source : खिलावन चंद्राकर